में जहाँ रहूँ....में कहीं भी हूं
तेरी याद साथ हैं
किसी से कहूँ....के नही कहूँ
ये जो दिल की बात हैं
कहने को साथ अपने
एक दुनिया चलती हैं
पर चुपके दिल में तन्हाई पलती हैं
बस या....द साथ हैं
तेरी या....द साथ हैं............3
में जहाँ रहूँ....में कहीं भी हूं
तेरी याद साथ हैं
कहीं तो दिल मे यादों की एक शुली गढ जाती हैं
कहीं हर एक तस्वीर बहुत ही धुँधली पड जाति हैं
कोई नई दुनिया के नये रंगों मे खुश रहता हैं
कोई सब कुछ पाके भी ये मन ही मन कहता हैं
कहने को साथ अपने एक दुनिया चलती हैं
पर चुपके दिल में तन्हाई पलती हैं
बस या....द साथ हैं
तेरी या....द साथ हैं............3
कहीं तो बीते कल की जङे दिल में ही उतर जाती हैं
कहीं जो धागे टूटे तो मालाएँ बिखर जाती हैं
कोई दिल में जगह नई बातों के लिये रखता हैं
कोई अपनी पलकों पर यादों के दिये रखता हैं
कहने को साथ अपने एक दुनिया चलती हैं
पर चुपके दिल में तन्हाई पलती हैं
बस या....द साथ हैं
तेरी या....द साथ हैं............3